वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
अर्थ- हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
जय वृषभान कुंवारी click here श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा
अयोध्यादास आस कहैं तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥